
अमेरिका में राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने किए कई विवादास्पद एलान किए है.
अपने भाषण में ट्रंप ने कई ऐसे बयान दिए जिन पर दुनियाभर में चर्चा हो रही है. इसमें से एक वो फैसला है जब ट्रंप ने कहा कि अब अमेरिका सिर्फ दो लिंगों को मान्यता देगा, पुल्लिंग और स्त्रीलिंग. इस एलान से ट्रांसजेंडर समुदाय को धक्का पहुंच सकता है. आइए जानते हैं आखिर ट्रंप का इस फैसले का मकसद क्या है?
20 जनवरी का दिन अमेरिका के लिए ऐतिहासिक रहा, जब डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार देश के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. हालांकि, इस ऐतिहासिक पल से ज्यादा चर्चा उनके शपथ के बाद दिए गए भाषण की हो रही है, जिसने कई विवादों को जन्म दिया. ट्रंप ने इस दौरान अमेरिकी लोगों से वादा किया कि वे देश के नागरिकों को उनका विश्वास, संपत्ति, लोकतंत्र और स्वतंत्रता वापस दिलाएंगे. लेकिन 30 मिनट के भाषण के दौरान उनकी कुछ घोषणाएं सुर्खियां बन गईं—खासतौर पर ट्रांसजेंडर अधिकारों पर उनकी नीति.
ट्रंप ने ऐलान किया कि अमेरिका में अब से ट्रांसजेंडर सिस्टम खत्म किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार केवल दो लिंगों को ही आधिकारिक तौर पर मान्यता देगी—पुरुष और महिला. व्हाइट हाउस के नए अधिकारियों के अनुसार, जन्म के समय निर्धारित लिंग को बदला नहीं जा सकेगा. इस एलान से ट्रांसजेंडर समुदाय को धक्का पहुंच सकता है.
ट्रंप का विवादित फैसला: आखिर क्यों?
ट्रांसजेंडर कौन होते हैं? सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ट्रांसजेंडर वो लोग होते हैं, जो अपने जन्म के समय मिले जेंडर को खुद से मेल खाता नहीं मानते. वे अपनी पहचान के मुताबिक जीवन जीना चाहते हैं. ट्रंप के इस कदम के पीछे उनकी चुनावी राजनीति और विचारधारा का बड़ा हाथ है.
चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कई बार ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ बयान दिए. उनके रक्षा मंत्री पिट हेगसेथ ने दावा किया कि सेना में महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स की मौजूदगी से अमेरिका की सुरक्षा पर नकारात्मक असर पड़ा है. ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि जेंडर की परिभाषा को “जन्म आधारित” रखना ही समाज और प्रशासन के लिए सही रहेगा.
ह्यूमन राइट्स कैंपन के मुताबिक अमेरिकी सेना पहले ही सेना में रिक्रूमेंट टार्गेट को पूरा करने में संघर्ष कर रही है, और इसी बीच, एक विवादित पाबंदी के चलते लगभग 15,000 लोगों की नौकरी छिन सकती है. गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिकी सेना देश में ट्रांसजेंडर समुदाय की सबसे बड़ी नियोक्ता है. हालिया अध्ययनों के अनुसार, ट्रांसजेंडर लोग आम जनसंख्या की तुलना में सेना में सेवा देने की दोगुनी संभावना रखते हैं.
अमेरिका में ट्रांसजेंडर्स की स्थिति
2022 में प्यू रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में 30 साल से कम उम्र के युवाओं में 5.1% लोग ट्रांसजेंडर या नॉन-बाइनरी के रूप में पहचान रखते हैं. इनमें 2% ट्रांस मर्द या औरत हैं, जबकि 3% नॉन-बाइनरी—यानी जो खुद को महिला या पुरुष की परिभाषा में नहीं डालते. विलियम्स इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 13 साल से ज्यादा उम्र के करीब 16.4 लाख लोग ट्रांसजेंडर के रूप में पहचान रखते हैं. 13 से 17 साल के 1.4% यानी करीब 3 लाख किशोर खुद को ट्रांसजेंडर मानते हैं. फिलहाल अमेरिका में लगभग 33,000 ट्रांसजेंडर लोग अलग-अलग नौकरियों में काम कर रहे हैं.
इस फैसले का ट्रांसजेंडर्स पर असर
ट्रंप के फैसले का सबसे बड़ा असर यह होगा कि अब जन्म के समय अस्पताल स्टाफ की तरफ से दिए गए जेंडर को ही व्यक्ति की आधिकारिक पहचान माना जाएगा. पहले ट्रांसजेंडर्स अपने जेंडर को कानूनी और चिकित्सकीय प्रक्रिया से बदल सकते थे. अब यह अधिकार खत्म हो गया है. वहीं सरकारी नौकरियों और सेना में उनके लिए रास्ते लगभग बंद हो जाएंगे. खेल और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में भी उनकी भागीदारी पर रोक लग सकती है.
